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PSU Share Delisting: 5 सरकारी कंपनियों के शेयर होंगे डीलिस्ट! जानिए कौन-सी हैं ये कंपनियां

 📚 Table of Contents: PSU Share Delisting

  1. परिचय

  2. SEBI का नया डीलिस्टिंग फ्रेमवर्क क्या है?

  3. डीलिस्टिंग के दायरे में आने वाली 5 कंपनियाँ

    • KIOCL

    • HMT

    • ITI Limited

    • State Trading Corporation (STC)

    • Fertilisers & Chemicals Travancore (FACT)

  4. डीलिस्टिंग की जरूरत क्यों पड़ी?

  5. निवेशकों के लिए चेतावनी

  6. निष्कर्ष

  7. FAQ


 📰 लेख प्रारंभ: PSU Share Delisting

1. परिचय

भारतीय शेयर बाजार में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है क्योंकि SEBI ने नया डीलिस्टिंग फ्रेमवर्क मंजूर कर दिया है। इसके तहत सरकार जिन कंपनियों में 90% या उससे अधिक हिस्सेदारी रखती है, उन्हें शेयर बाजार से हटाने की प्रक्रिया आसान बना दी गई है।


2. SEBI का नया डीलिस्टिंग फ्रेमवर्क क्या है? PSU Share Delisting

SEBI ने 2025 में नए नियम लागू किए हैं, जिसके अनुसार सरकारी कंपनियां, जिनमें 90% या उससे अधिक सरकारी हिस्सेदारी है, स्वैच्छिक रूप से शेयर बाजार से डीलिस्ट हो सकती हैं। इससे पहले, कंपनियों को 25% तक पब्लिक हिस्सेदारी बनाए रखना अनिवार्य था।


3. डीलिस्टिंग के दायरे में आने वाली 5 कंपनियाँ: PSU Share Delisting

(1) KIOCL (कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड)

  • सरकारी हिस्सेदारी: 99.03%

  • मार्केट कैप: ₹17,165 करोड़

  • रिटेल निवेशक: 37,000

  • 5 वर्षों में रिटर्न: 195%

(2) HMT (हिंदुस्तान मशीन टूल्स)

  • सरकारी हिस्सेदारी: 93.69%

  • मार्केट कैप: ₹3,139 करोड़

  • 5 वर्षों में रिटर्न: 358%

(3) ITI Limited

  • सरकारी हिस्सेदारी: 90.02%

  • मार्केट कैप: ₹29,398 करोड़

  • रिटेल निवेशक: 2 लाख+

  • 5 वर्षों में रिटर्न: 248%

(4) State Trading Corporation (STC)

  • सरकारी हिस्सेदारी: लगभग 90%

  • मार्केट कैप: ₹888 करोड़

  • 5 वर्षों में रिटर्न: 228%

(5) Fertilisers & Chemicals Travancore (FACT)

  • सरकारी हिस्सेदारी: 90%

  • मार्केट कैप: ₹64,364 करोड़

  • 5 वर्षों में रिटर्न: 2225%


4. डीलिस्टिंग की जरूरत क्यों पड़ी? : PSU Share Delisting

SEBI के अनुसार, किसी भी लिस्टेड कंपनी में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 75% से अधिक नहीं होनी चाहिए। लेकिन 20 से ज्यादा PSUs ऐसी हैं जो इस नियम का पालन नहीं करतीं। सरकार इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी कम नहीं करना चाहती, इसलिए डीलिस्टिंग का रास्ता अपनाया जा सकता है।


5. निवेशकों के लिए चेतावनी: PSU Share Delisting

यदि आपके पास इन कंपनियों के शेयर हैं, तो सतर्क रहें। डीलिस्टिंग की स्थिति में कंपनी आपको खरीद मूल्य ऑफर कर सकती है, लेकिन यह बाज़ार मूल्य से कम या ज्यादा हो सकता है। इसलिए विशेषज्ञों से सलाह लेकर ही फैसला लें।


6. निष्कर्ष: PSU Share Delisting

SEBI के नए नियमों से यह साफ है कि अब सरकारी कंपनियों की डीलिस्टिंग की प्रक्रिया आसान हो गई है। आने वाले महीनों में हमें इन पांचों कंपनियों में से एक या अधिक शेयर बाजार से बाहर जाते दिख सकते हैं।


 ❓ FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल): PSU Share Delisting

प्र.1: क्या इन कंपनियों में डीलिस्टिंग पक्की है?
उत्तर: नहीं, यह अभी केवल संभावना है। सरकार चाहें तो हिस्सेदारी घटाकर कंपनियों को लिस्टेड रख सकती है।

प्र.2: डीलिस्टिंग होने पर निवेशकों को क्या मिलेगा?
उत्तर: कंपनी एक फेयर ऑफर प्राइस दे सकती है। निवेशक चाहें तो उसमें अपने शेयर बेच सकते हैं।

प्र.3: क्या सभी सरकारी कंपनियां डीलिस्ट हो सकती हैं?
उत्तर: नहीं, केवल वही कंपनियाँ जो SEBI के नए मानकों को पूरा करती हैं।

प्र.4: डीलिस्टिंग के बाद शेयरों की ट्रेडिंग बंद हो जाएगी?
उत्तर: हाँ, स्टॉक एक्सचेंज पर उनकी ट्रेडिंग बंद हो जाएगी। शेयर होल्डर्स के पास लिमिटेड विकल्प होंगे।

प्र.5: क्या निवेशकों को चिंता करनी चाहिए?
उत्तर: अगर आपके पोर्टफोलियो में ये शेयर हैं, तो सतर्क रहना जरूरी है और विशेषज्ञ से सलाह लें।

7. डीलिस्टिंग प्रक्रिया कैसे होती है?

जब कोई कंपनी शेयर बाजार से स्वयं को हटाना चाहती है (स्वैच्छिक डीलिस्टिंग), तो उसके लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:

  1. बोर्ड की मंजूरी: सबसे पहले कंपनी का बोर्ड प्रस्ताव को मंजूरी देता है।

  2. पब्लिक घोषणा: डीलिस्टिंग का इरादा सार्वजनिक रूप से घोषित किया जाता है।

  3. शेयरधारकों की स्वीकृति: 75% पब्लिक शेयरहोल्डर्स को प्रस्ताव के पक्ष में वोट देना होता है।

  4. डिस्कवर की गई कीमत: कंपनी ऑफर प्राइस देती है, लेकिन पब्लिक शेयरधारकों की मांग के अनुसार फेयर प्राइस तय होती है।

  5. बायबैक ऑफर: कंपनी, ऑफर प्राइस पर शेयर खरीदने का प्रस्ताव देती है।

  6. एक्सचेंज से हटाना: यदि पर्याप्त शेयर खरीदे गए तो कंपनी एक्सचेंज से डीलिस्ट हो जाती है।


8. डीलिस्टिंग के संभावित प्रभाव: PSU Share Delisting

प्रभाव क्षेत्र विवरण
रिटेल निवेशक शेयर को ऑफर प्राइस पर बेचना पड़ेगा, जो नुकसानदेह हो सकता है यदि ऑफर प्राइस कम हो।
बाजार में तरलता डीलिस्टिंग के बाद शेयरों की खरीद-फरोख्त बहुत मुश्किल हो जाएगी।
पोर्टफोलियो रिस्क कुछ निवेशकों के पोर्टफोलियो में भारी बदलाव या नुकसान हो सकता है।
भावनात्मक प्रभाव लंबे समय से निवेश किए शेयर का डीलिस्ट होना एक असहज अनुभव हो सकता है।

9. निवेशकों के लिए सुझाव: PSU Share Delisting

जांचें कि आपके पोर्टफोलियो में ये 5 PSU शेयर तो नहीं हैं।
कंपनी के ऑफर प्राइस और मौजूदा मार्केट प्राइस की तुलना करें।
डीलिस्टिंग से पहले एक्सिट लेना बेहतर हो सकता है – यदि कीमत फेवर में हो।
निवेश विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही अंतिम फैसला लें।
अगर कंपनी में दीर्घकालिक संभावनाएं हों, तो कुछ मामलों में डीलिस्टिंग के बाद भी होल्ड करना सही हो सकता है।


 🔚 समापन: PSU Share Delisting

SEBI का यह नया कदम बाजार में पारदर्शिता तो लाएगा, लेकिन निवेशकों के लिए चिंता का विषय भी है। खासकर रिटेल निवेशकों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे इन पांच कंपनियों की स्थिति पर नजर रखें और किसी भी निर्णय से पहले सावधानी बरतें।

डीलिस्टिंग का यह दौर यह भी संकेत देता है कि सरकार अपनी कुछ हिस्सेदारियों से निकलना चाहती है – या कंपनियों को पूर्ण नियंत्रण में रखना चाहती है। निवेशकों को चाहिए कि वे इस ट्रेंड को समझें और अपने निवेश फैसलों को उसी अनुसार अपडेट करें।

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