Reliance Infrastructure अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया मंजूर, NCLT का बड़ा फैसला
अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ कॉर्पोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) की शुरुआत हो चुकी है। यह फैसला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) मुंबई बेंच ने 30 मई 2025 को सुनाया। इस प्रक्रिया के लिए तहसीन फातिमा खातरी को अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) नियुक्त किया गया है।
💼 विवाद की पृष्ठभूमि: 2011 से चली आ रही है खींचतान Reliance Infrastructure
यह मामला 2011 में हुए एनर्जी परचेज एग्रीमेंट (EPA) से जुड़ा है, जिसमें रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और धुरसर सोलर पावर (DSPPL) के बीच करार हुआ था कि रिलायंस, DSPPL से उत्पन्न सौर ऊर्जा की पूरी खरीद करेगा।
2012 में, IDBI Trusteeship Services ने रिलायंस और DSPPL के साथ एक डायरेक्ट एग्रीमेंट किया, जिसके तहत DSPPL के सभी क्लेम्स अब IDBI के अधिकार में आ गए।
2017 और 2018 में DSPPL ने कुल 10 इनवॉइस जारी किए, लेकिन भुगतान नहीं किया गया। इसके चलते IDBI ने 2022 में ₹88 करोड़ और ब्याज के लिए दिवाला कानून (IBC) के तहत डिमांड नोटिस जारी किया।
⚖️ NCLT का निर्णय और कंपनी का जवाब Reliance Infrastructure
NCLT ने अपने आदेश में कहा:
“हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि IDBI Trusteeship ने यह साबित कर दिया है कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर पर ऑपरेशनल डेट बकाया है और यह डिफॉल्टर है।”
NCLT की पीठ में न्यायिक सदस्य केआर साजी कुमार और तकनीकी सदस्य संजीव दत्त शामिल थे।
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने इस पर प्रतिक्रिया दी कि:
“कंपनी ने धुरसर सोलर पावर को ₹92.68 करोड़ का पूरा भुगतान कर दिया है। कंपनी NCLAT में अपील करेगी और NCLT के आदेश को वापस लेने का निवेदन करेगी।”
🏛️ कंपनी का दावा: याचिका समय सीमा से बाहर
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के वकीलों ने दलील दी कि डिमांड नोटिस समय-सीमा से बाहर (Time-Barred) है क्योंकि अंतिम इनवॉइस सितंबर 2018 में जारी हुआ था, जिसकी भुगतान तिथि नवंबर 2018 थी, जबकि याचिका 2022 में दायर की गई।
📊 क्या होगा आगे का रास्ता? Reliance Infrastructure
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रिलायंस ने NCLAT में अपील करने की घोषणा की है।
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अगर अपील खारिज होती है, तो कंपनी को CIRP प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है।
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यह मामला अन्य कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है कि कैसे समय पर भुगतान न करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
📌 इस केस से क्या सीखा जा सकता है? Reliance Infrastructure
कॉर्पोरेट जगत में समय पर भुगतान और उचित कानूनी दस्तावेज़ों की अहमियत इस केस से स्पष्ट होती है। चाहे कंपनी कितनी भी बड़ी क्यों न हो, यदि उसने किसी सेवा या उत्पाद का उपयोग किया है, तो भुगतान करना अनिवार्य होता है।
Reliance Infrastructure जैसे प्रतिष्ठित नाम के खिलाफ भी NCLT द्वारा दिवाला प्रक्रिया की मंजूरी यह दर्शाती है कि कानून सभी के लिए समान है।
⚖️ कानूनी प्रक्रिया से जुड़े मुख्य बिंदु: Reliance Infrastructure
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IDBI Trusteeship ने सभी दस्तावेज और साक्ष्य समय पर जमा किए।
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डिमांड नोटिस, इनवॉइस की प्रतियाँ और ऊर्जा खरीद समझौते को आधार बनाकर मामला दायर किया गया।
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NCLT ने तकनीकी और न्यायिक पक्षों पर गौर करने के बाद निर्णय सुनाया।
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हालांकि कंपनी ने भुगतान का दावा किया, लेकिन अंतरिम समाधान पेशेवर की नियुक्ति पहले ही हो चुकी है।
📉 बाजार पर प्रभाव और निवेशकों के लिए चेतावनी Reliance Infrastructure
इस खबर के बाद रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, खासकर जब तक NCLAT में अपील का परिणाम स्पष्ट नहीं हो जाता।
निवेशकों को चाहिए कि वे:
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कंपनी के आर्थिक स्वास्थ्य की निगरानी करें,
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न्यायालय की अगली सुनवाई और आदेशों पर नजर रखें,
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और यदि शेयरधारक हैं, तो कंपनी के आधिकारिक बयानों को गंभीरता से लें।
🔍 भविष्य की संभावनाएं क्या हैं? Reliance Infrastructure
यदि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर NCLAT में अपनी याचिका पर सफलता पाती है, तो यह CIRP प्रक्रिया को पलट सकता है, जिससे कंपनी की प्रतिष्ठा और संचालन पर स्थिरता बनी रह सकती है।
लेकिन यदि अपील खारिज होती है, तो कंपनी को निवेशकों और बाजार के भरोसे को बहाल करने के लिए एक ठोस पुनरुद्धार योजना लानी होगी।
📣 समाचार सारांश:
बिंदु | जानकारी |
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विवाद की शुरुआत | 2011 के एनर्जी परचेज एग्रीमेंट से |
मुख्य पक्षकार | Reliance Infrastructure, Dhursar Solar Power, IDBI Trusteeship |
याचिका दायर | 2022 में, ₹88 करोड़ के लिए |
NCLT निर्णय | 30 मई 2025 को CIRP प्रक्रिया मंजूर |
कंपनी का दावा | ₹92.68 करोड़ का भुगतान कर दिया गया |
अगला कदम | NCLAT में अपील, आदेश वापसी की मांग |
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⚠️ डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल सूचना के लिए है। कृपया इसे निवेश या कानूनी सलाह न समझें।
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