📚 अनुक्रमणिका (Table of Contents): NSE F&O से हटे स्टॉक्स
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NSE का नया आदेश: क्या हुआ बदलाव?
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F&O से हटाए गए 8 स्टॉक्स की लिस्ट
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ये बदलाव कब से होंगे लागू?
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मौजूदा F&O कॉन्ट्रैक्ट्स का क्या होगा?
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ट्रेडर्स और निवेशकों पर असर
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F&O से स्टॉक्स को क्यों हटाया जाता है?
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SEBI की भूमिका और नियम
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F&O कॉन्ट्रैक्ट्स क्या होते हैं?
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निष्कर्ष: क्या करें निवेशक?
📰 1. NSE का नया आदेश: क्या हुआ बदलाव?: NSE F&O से हटे स्टॉक्स
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने 24 जून 2025 को घोषणा की कि 8 कंपनियों को 29 अगस्त 2025 से Futures and Options (F&O) सेगमेंट से हटा दिया जाएगा। यह बदलाव निवेशकों और डेरिवेटिव्स में ट्रेड करने वालों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
📃 2. F&O से हटाए गए 8 स्टॉक्स की लिस्ट: NSE F&O से हटे स्टॉक्स
इन कंपनियों को 29 अगस्त 2025 से F&O ट्रेडिंग से हटा दिया जाएगा:
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Aditya Birla Fashion and Retail Ltd.
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Adani Total Gas Ltd.
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CESC Ltd.
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Granules India Ltd.
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IRB Infrastructure Developers Ltd.
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Jindal Stainless Ltd.
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Poonawalla Fincorp Ltd.
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SJVN Ltd.
⏰ 3. ये बदलाव कब से होंगे लागू?: NSE F&O से हटे स्टॉक्स
➡️ 29 अगस्त 2025 से इन स्टॉक्स में F&O सेगमेंट में कोई नया कॉन्ट्रैक्ट शुरू नहीं होगा।
➡️ मौजूदा जून, जुलाई और अगस्त 2025 एक्सपायरी वाले F&O कॉन्ट्रैक्ट्स तब तक ट्रेड होते रहेंगे जब तक उनकी वैधता समाप्त नहीं हो जाती।
🔁 4. मौजूदा F&O कॉन्ट्रैक्ट्स का क्या होगा?: NSE F&O से हटे स्टॉक्स
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जून, जुलाई और अगस्त 2025 के मौजूदा अनुबंध ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध रहेंगे
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इन कॉन्ट्रैक्ट्स में नई स्ट्राइक प्राइस भी जोड़ी जा सकती हैं
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लेकिन 29 अगस्त के बाद नए कॉन्ट्रैक्ट्स शुरू नहीं होंगे
👨💼 5. ट्रेडर्स और निवेशकों पर असर: NSE F&O से हटे स्टॉक्स
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ट्रेडर्स इन स्टॉक्स में F&O सेगमेंट में नई पोजिशन नहीं बना सकेंगे
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केवल कैश मार्केट (स्पॉट मार्केट) में ही अब इन शेयरों में ट्रेडिंग होगी
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जोखिम नियंत्रण के लिए ये फैसला लिया गया है
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जिन निवेशकों की पोजिशन F&O में पहले से है, उन्हें ध्यानपूर्वक एक्ज़िट प्लान बनाना चाहिए
📉 6. F&O से स्टॉक्स को क्यों हटाया जाता है?: NSE F&O से हटे स्टॉक्स
NSE आमतौर पर किसी स्टॉक को F&O से हटाने का निर्णय तब लेता है जब:
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उस स्टॉक में कम लिक्विडिटी होती है
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ट्रेडिंग वॉल्यूम और ओपन इंटरेस्ट बहुत कम होता है
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अधिक वोलैटिलिटी और जोखिम से बाजार की स्थिरता पर असर पड़ता है
यह कदम बाजार में प्रभावशीलता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए होता है।
🏦 7. SEBI की भूमिका और नियम: NSE F&O से हटे स्टॉक्स
SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) F&O सेगमेंट के लिए नियम बनाता है:
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स्टॉक्स का औसत मार्केट कैप
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लिक्विडिटी
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वॉल्यूम
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जोखिम संकेतक
इन मापदंडों को ध्यान में रखकर NSE निर्णय लेता है।
📘 8. F&O कॉन्ट्रैक्ट्स क्या होते हैं? (सिंपल शब्दों में): NSE F&O से हटे स्टॉक्स
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Futures Contract: एक एग्रीमेंट जिसमें खरीदार और विक्रेता भविष्य की तारीख पर एक निश्चित कीमत पर एसेट खरीदने या बेचने के लिए बाध्य होते हैं।
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Options Contract: इसमें होल्डर को भविष्य की तारीख तक एक निश्चित कीमत पर एसेट खरीदने या बेचने का अधिकार होता है, कोई बाध्यता नहीं होती।
✅ 9. निष्कर्ष: निवेशकों को क्या करना चाहिए?: NSE F&O से हटे स्टॉक्स
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जिनके पास इन कंपनियों के F&O कॉन्ट्रैक्ट्स हैं, वे एक्सपायरी से पहले पोजीशन क्लोज करें
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कैश सेगमेंट में निवेश जारी रख सकते हैं
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किसी भी निवेश निर्णय से पहले मार्केट एनालिसिस और रिस्क का मूल्यांकन ज़रूर करें
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लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह कोई नकारात्मक संकेत नहीं है, बल्कि F&O से हटना अस्थायी भी हो सकता है
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